प्लास्टिक डोर माफिया: न्याय व्यवस्था की चुनौती
लुधियाना में प्लास्टिक डोर की अवैध बिक्री ने समाज के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। यह स्थिति हमारी न्याय व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र की कमजोरियों को उजागर करती है।
जनसुरक्षा पर संकट
शहर में प्लास्टिक डोर की सरेआम बिक्री से आम नागरिकों की जान को खतरा बढ़ गया है। राह चलते लोग, दोपहिया वाहन चालक और बच्चे गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं। हाल ही में एक महिला को फुल्लांवाल रोड पर प्लास्टिक डोर की चपेट में आने से चेहरे और सिर पर गहरी चोटें आईं, जिसके लिए 45 टांके लगाने पड़े।
कानूनी व्यवस्था की विफलता
पुलिस द्वारा समय-समय पर की जाने वाली कार्रवाइयों के बावजूद, कानूनी खामियों का फायदा उठाकर आरोपी बार-बार बच निकलते हैं। 11 दिसंबर को सीआईए-1 की टीम ने रजित शर्मा के कब्जे से 1,008 प्लास्टिक गट्टू बरामद किए थे। पूछताछ में पता चला कि मुख्य आपूर्तिकर्ता न्यू माधोपुरी का निवासी चिंटू है।
राजनीतिक संरक्षण की समस्या
चिंटू जैसे मुख्य आरोपी राजनीतिक सिफारिशों के बल पर जमानत पाकर पुनः अपना अवैध धंधा शुरू कर देते हैं। यह स्थिति न्याय व्यवस्था की गंभीर चुनौती है। हाल ही में हैबोवाल के अक्षय बहल, अटल नगर के लविश गुप्ता और गौरव कुमार के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है।
आपूर्ति श्रृंखला और समाधान
सूत्रों के अनुसार, यह सामग्री मुख्यतः राजस्थान से आती है। दीवाली के समय ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से बड़ी मात्रा में सामान मंगवाया जाता है। यदि पुलिस ट्रांसपोर्ट कंपनियों के गोदामों की जांच करे तो अभी भी बड़ी मात्रा में प्लास्टिक डोर मिल सकती है।
धर्म और न्याय का आह्वान
यह स्थिति हमें महाराज अशोक के न्याय सिद्धांतों की याद दिलाती है। जब तक कठोर कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक यह समस्या बनी रहेगी। समाज की सुरक्षा के लिए प्रशासन को तत्काल प्रभावी कदम उठाने होंगे।
न्याय और धर्म के मार्ग पर चलते हुए, हमें इस समस्या का स्थायी समाधान खोजना होगा। केवल सख्त कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही इस खतरनाक व्यापार पर लगाम कसी जा सकती है।