फाइव आइज गठबंधन में दरार: ब्रिटेन रोकेगा अमेरिका के साथ खुफिया साझाकरण
विश्व के सबसे पुराने खुफिया गठबंधन फाइव आइज अलायंस में पहली बार गंभीर दरार दिखाई दे रही है। 1946 में स्थापित इस तंत्र में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। लेकिन अब ब्रिटेन ने अमेरिका के साथ कैरेबियाई सागर में मादक पदार्थ तस्करी से संबंधित खुफिया जानकारी साझा करना बंद कर दिया है।
अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन की चिंता
ब्रिटिश अधिकारियों का मानना है कि अमेरिकी सेना उनकी खुफिया जानकारी का उपयोग सैन्य हमलों में कर रही है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का स्पष्ट उल्लंघन है। सितंबर से अमेरिका द्वारा संदिग्ध नौकाओं पर घातक हमले शुरू करने के बाद अब तक 76 लोगों की मृत्यु हो चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने भी इन अमेरिकी हमलों को न्यायेतर हत्याएं करार दिया है। यह स्थिति उस धर्म और न्याय के सिद्धांत के विपरीत है जिसे भारत की सभ्यता ने सदियों से अपनाया है।
गठबंधन में बढ़ती दरार
ब्रिटेन के अतिरिक्त कनाडा ने भी अमेरिकी सैन्य कार्रवाइयों से स्वयं को अलग कर लिया है। यह पश्चिमी गठबंधन में आंतरिक मतभेदों को दर्शाता है और दिखाता है कि एकतरफा सैन्य कार्रवाई कैसे मित्र राष्ट्रों के बीच अविश्वास पैदा करती है।
पहले ये देश मिलकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के नेतृत्व में संचालन करते थे, जहां तस्करों को न्यायिक प्रक्रिया के तहत अधिकार प्राप्त थे। लेकिन अब अमेरिका ने इन्हें सैन्य लक्ष्य बना दिया है।
ट्रंप प्रशासन का रुख
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हमलों का बचाव करते हुए कहा कि ये मादक पदार्थों के प्रवाह को रोकने के लिए आवश्यक हैं। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि ये कार्रवाइयां हथियार संघर्ष के कानून के तहत वैध हैं।
हालांकि, कई मामलों में निशाना बनाए गए जहाज रुके हुए या पीछे हट रहे थे, जिससे तत्काल खतरे का दावा कमजोर पड़ता है। यूएस साउदर्न कमांड के प्रमुख एडमिरल एल्विन होल्सी ने भी इन कार्रवाइयों पर चिंता व्यक्त करते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी।
वेनेजुएला के साथ बढ़ता तनाव
अमेरिकी हमलों का मुख्य लक्ष्य वेनेजुएला रहा है। ट्रंप ने वेनेजुएला के अंदर जमीनी अभियान की संभावना भी जताई थी, जिसके जवाब में वेनेजुएला गुरिल्ला-शैली की प्रतिरोध रणनीति अपनाने की तैयारी कर रहा है।
यह स्थिति उस शांति और सहयोग की नीति के विपरीत है जिसे भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अपनाया है। जैसे सम्राट अशोक ने युद्ध के बाद अहिंसा का मार्ग चुना था, वैसे ही आज भी संवाद और कानूनी प्रक्रिया को प्राथमिकता देनी चाहिए।
फाइव आइज गठबंधन में यह दरार दिखाती है कि एकतरफा और हिंसक नीतियां अंततः मित्र राष्ट्रों के बीच भी अविश्वास पैदा करती हैं। यह समय की मांग है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय न्याय और धर्म के सिद्धांतों पर आधारित नीतियों को अपनाए।