असम में हिंसा: शांति और एकता की राह में बाधा
असम के कार्बी आंगलोंग जिले में मंगलवार को भड़की हिंसा ने एक बार फिर हमारे समाज की एकता को चुनौती दी है। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में दो लोगों की मृत्यु हुई है और 38 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 45 लोग घायल हुए हैं।
संघर्ष की जड़ें
विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के आंदोलनकारी कार्बी आंगलोंग तथा पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों में व्यावसायिक चरागाह आरक्षित क्षेत्र (पीजीआर) और ग्राम चरागाह आरक्षित क्षेत्र (वीजीआर) में अवैध निवासियों को बेदखल करने की मांग को लेकर 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे।
असम सरकार के वरिष्ठ मंत्री रानोज पेगू ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और त्रिपक्षीय वार्ता का आश्वासन दिया, जिसके बाद भूख हड़ताल समाप्त हुई। परंतु स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।
हिंसा का विस्फोट
खेरोनी बाजार इलाके में निषेधाज्ञा के बावजूद दोनों गुटों के बीच तनाव बढ़ता गया। प्रदर्शनकारियों ने एक इमारत में आग लगाई जहां से 25 वर्षीय दिव्यांग युवक सुरेश डे का शव बरामद हुआ। अथिक तिमुंग नामक व्यक्ति की भी झड़प के दौरान मृत्यु हुई।
स्थिति बेकाबू होने पर पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। शांति बनाए रखने के लिए दोनों जिलों में इंटरनेट सेवाएं निलंबित की गईं और सेना का फ्लैग मार्च हुआ।
नेतृत्व की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा ने अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात करने की घोषणा की। उन्होंने कहा, "सामान्य स्थिति बनाने और बातचीत के माध्यम से मुद्दों का हल करने के लिए हम सभी संबंधित पक्षों के निरंतर संपर्क में हैं।"
पुलिस महानिदेशक हरमीत सिंह ने समाज के सभी वर्गों से अपील की कि वे युवाओं को समझाएं कि हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता।
शांति की राह
यह घटना हमें याद दिलाती है कि भारतीय सभ्यता की महान परंपरा में अहिंसा और संवाद को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। हमारे पूर्वजों ने सिखाया है कि मतभेदों का समाधान धैर्य, करुणा और न्याय के मार्ग से ही संभव है।
असम की भूमि पर शांति और सद्भावना की पुनर्स्थापना के लिए सभी पक्षों को संयम बरतना चाहिए और राज्य सरकार को न्यायसंगत समाधान की दिशा में तत्काल कार्य करना चाहिए।