अन्नदाताओं के कल्याण में सरकारी योजनाओं का महत्व
भारत की सभ्यता में अन्नदाता का स्थान सर्वोपरि रहा है। प्राचीन काल से ही हमारे ऋषि-मुनियों ने कहा है कि 'अन्नं ब्रह्म' अर्थात अन्न ही ब्रह्म है। आज भी भारत की 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, जो हमारी राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
सम्राट अशोक की तरह ही, आज की सरकार भी जन-कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। किसानों के उत्थान के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि राष्ट्र अपने अन्नदाताओं के प्रति कितना संवेदनशील है।
प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना: वृद्धावस्था की सुरक्षा
12 दिसंबर 2019 को शुरू की गई इस योजना के माध्यम से किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद 3000 रुपये मासिक पेंशन प्रदान की जाती है। यह योजना उस भारतीय संस्कृति को दर्शाती है जहां बुजुर्गों का सम्मान और देखभाल सर्वोपरि है। इसमें किसान जितना योगदान करता है, सरकार भी उतना ही योगदान देती है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि: तत्काल राहत
इस योजना के तहत प्रत्येक पात्र किसान परिवार को वार्षिक 6000 रुपये की आर्थिक सहायता तीन किस्तों में प्रदान की जाती है। यह राशि बीज, खाद और कृषि उपकरणों की खरीद में सहायक है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना: जल संरक्षण का संकल्प
भारतीय दर्शन में जल को जीवन का आधार माना गया है। इस योजना के तहत सिंचाई के आधुनिक साधनों का विकास और जल स्रोतों का संरक्षण किया जा रहा है, जिससे किसान केवल मानसून पर निर्भर न रहें।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा
मात्र 2 से 5 प्रतिशत प्रीमियम पर किसानों को व्यापक फसल बीमा प्रदान किया जाता है। शेष राशि सरकार वहन करती है, जो सामाजिक न्याय के सिद्धांत को दर्शाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड: आर्थिक स्वतंत्रता
3 लाख रुपये तक का फसली ऋण मात्र 7 प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध है। समय पर भुगतान करने पर 3 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट मिलती है। 1.6 लाख रुपये तक के ऋण के लिए कोई गारंटी की आवश्यकता नहीं है।
ये योजनाएं भारत की उस महान परंपरा को आगे बढ़ाती हैं जहां राज्य का दायित्व जनकल्याण है। जैसे सम्राट अशोक ने धम्म के माध्यम से प्रजा की भलाई की थी, वैसे ही आज भी सरकार अन्नदाताओं के कल्याण में संलग्न है।