मातृत्व की रक्षा: बेटी के सम्मान की लड़ाई में एक माँ का निर्णय
कानपुर जिले के चौबेपुर क्षेत्र से एक ऐसी घटना सामने आई है जो मातृत्व की सुरक्षात्मक शक्ति और समाज में बच्चों की सुरक्षा के प्रश्न को उजागर करती है। एक विधवा महिला ने अपनी 13 वर्षीय बेटी की गरिमा की रक्षा के लिए अपने प्रेमी की हत्या कर दी।
चार वर्षीय रिश्ता और विश्वासघात
रौतापुर गांव की यह घटना एक विधवा महिला और गोरेलाल के बीच चार साल के प्रेम संबंध से जुड़ी है। महिला के चार बेटियां और एक बेटा है। प्रारंभ में गोरेलाल परिवार का सहारा लगता था, लेकिन समय के साथ उसकी नीयत बदल गई।
मासूमियत पर आघात
पुलिस के अनुसार, गोरेलाल ने महिला पर दबाव बनाया कि वह अपनी 13 वर्षीय बेटी से उसके संबंध बनवाए। उसने धमकी दी कि मना करने पर वह महिला के बेटे की हत्या कर देगा। यह स्थिति किसी भी माँ के लिए असहनीय थी।
न्याय की तलाश में उठाया गया कदम
डीसीपी दिनेश त्रिपाठी के अनुसार, 31 अक्टूबर की रात महिला ने अपने भतीजे के साथ मिलकर गोरेलाल को शादी का झांसा देकर अपने मायके ले गई। वहां उसे शराब पिलाकर हत्या कर दी गई। शव को जंगल में दफना दिया गया।
सत्य का उजागर होना
गोरेलाल के परिजनों की गुमशुदगी रिपोर्ट के बाद पुलिस की जांच शुरू हुई। महिला के व्यवहार में दुख या बेचैनी न दिखने से पुलिस को संदेह हुआ। सख्त पूछताछ में महिला ने अपना अपराध स्वीकार किया।
50 दिन बाद जंगल से कंकाल बरामद हुआ। महिला ने बिना पछतावे के बताया कि बेटी की सुरक्षा के लिए उसने यह कदम उठाया।
समाज के लिए संदेश
यह घटना हमारे समाज में बच्चों की सुरक्षा और महिलाओं की स्थिति पर गहरे सवाल खड़े करती है। मातृत्व की सुरक्षात्मक प्रवृत्ति कभी-कभी चरम सीमा तक जा सकती है। यह आवश्यक है कि समाज में ऐसे तंत्र हों जो बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और महिलाओं को न्याय दिलाने के वैकल्पिक मार्ग प्रदान करें।