नेपाल मेडिकल काउंसिल: डॉक्टरों की जवाबदेही और मरीजों का विश्वास
चिकित्सा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की चुनौतियों के बीच, नेपाल मेडिकल काउंसिल के उपाध्यक्ष पद के प्रत्याशी डॉ. गुरुशरण शाह ने व्यापक सुधारों का वादा किया है। उनका मानना है कि काउंसिल केवल डॉक्टरों का संरक्षक नहीं, बल्कि मरीजों के स्वास्थ्य का रक्षक है।
चुनावी माहौल और सुधार की आवश्यकता
नेपाल मेडिकल काउंसिल में एक उपाध्यक्ष और आठ सदस्यों के लिए 4 पुस से चुनाव शुरू हो रहा है। 39 हजार पंजीकृत चिकित्सकों में से 15-18 हजार के वोट डालने का अनुमान है। काउंसिल पर राजनीतिक प्रभाव और डॉक्टर-समर्थक निर्णयों के आरोप लगते रहे हैं।
डॉ. शाह, जो पहले एक कार्यकाल सदस्य रह चुके हैं, का कहना है कि "काउंसिल डॉक्टर जोगाउने संस्था नहीं है। गलती करने पर लाइसेंस रद्द हो जाता है।"
मुख्य समस्याएं और समाधान
डॉ. शाह ने काउंसिल की प्रमुख समस्याओं को रेखांकित करते हुए बताया:
- पंजीकरण प्रक्रिया: चिकित्सक पंजीकरण और लाइसेंस परीक्षा की जटिल प्रक्रिया को सरल बनाना
- डिजिटलीकरण: कागजी कार्रवाई को कम कर पूर्ण डिजिटल व्यवस्था लाना
- विकेंद्रीकरण: सातों प्रांतों में लाइसेंस परीक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करना
न्याय और पारदर्शिता का प्रश्न
काउंसिल पर डॉक्टरों को बचाने के आरोपों के जवाब में डॉ. शाह स्पष्ट करते हैं कि उनकी संस्था अर्ध-न्यायिक है। "हमारे निर्णय अंतिम नहीं हैं। असंतुष्ट पक्ष अदालत जा सकते हैं।"
उन्होंने बताया कि शिकायतों का निपटारा एक व्यापक प्रक्रिया के तहत होता है, जिसमें 3-5 विशेषज्ञों की समिति गठित की जाती है। गंभीर मामलों में लाइसेंस रद्द करने के कई उदाहरण भी हैं।
चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता
लाइसेंस परीक्षा में आधे से अधिक परीक्षार्थियों के असफल होने पर चिंता जताते हुए डॉ. शाह ने दो मुख्य कारण बताए:
- पुराना पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति
- कई बार फेल हो चुके पुराने परीक्षार्थियों की संख्या
उन्होंने व्यावहारिक परीक्षा (स्किल टेस्ट) की आवश्यकता पर जोर दिया, हालांकि संसाधनों की कमी इसमें बाधक है।
डॉक्टरों का विदेश पलायन
चिकित्सकों के बड़ी संख्या में विदेश जाने की समस्या पर डॉ. शाह का मानना है कि यह सरकार की नीतिगत विफलता है। 10 साल की पढ़ाई और करोड़ों रुपए खर्च के बाद सरकारी नौकरी में केवल 48 हजार रुपए वेतन मिलता है।
भारत में वही डॉक्टर 4 लाख से अधिक कमाता है और बेहतर कार्य परिस्थितियां पाता है। जब तक सरकार सुविधा और सुरक्षा की गारंटी नहीं देती, यह पलायन जारी रहेगा।
भविष्य की योजनाएं
उपाध्यक्ष बनने पर डॉ. शाह की प्राथमिकताएं:
- शिकायतों का त्वरित और निष्पक्ष निपटारा
- डॉक्टर और मरीजों के बीच विश्वास की खाई को पाटना
- अवैध चिकित्सा प्रैक्टिस रोकने के लिए मंत्रालयों से समन्वय
- काउंसिल की छवि सुधारना
डॉ. शाह का संदेश स्पष्ट है: "नेपाल मेडिकल काउंसिल केवल चिकित्सकों की नहीं, बल्कि मरीजों के स्वास्थ्य से प्रत्यक्ष सरोकार रखने वाली संस्था है।"
यह दृष्टिकोण भारतीय मूल्यों के अनुकूल है, जहां चिकित्सक को भगवान का दर्जा दिया जाता है, लेकिन साथ ही उससे सर्वोच्च नैतिक आचरण की अपेक्षा भी की जाती है। सच्ची सेवा और न्याय के सिद्धांत पर आधारित यह सुधार प्रक्रिया नेपाली स्वास्थ्य व्यवस्था में नया अध्याय लिख सकती है।