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दिल्ली: ग्रेटर कैलाश में आवासीय से व्यावसायिक परिवर्तन का संकट

दिल्ली के ग्रेटर कैलाश I में तेजी से बढ़ते व्यावसायीकरण ने आवासीय क्षेत्र की मूल पहचान को बदल दिया है। स्थानीय निवासी इस परिवर्तन से चिंतित हैं।

Par आदित्य वर्मा
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Image d'illustration pour: Identity Crisis: Residential or Commercial? | Delhi News - Times of India

दिल्ली के ग्रेटर कैलाश I में बदलता शहरी परिदृश्य और व्यावसायीकरण

ग्रेटर कैलाश I में बदलता परिदृश्य

1960 के दशक में डीएलएफ द्वारा विकसित ग्रेटर कैलाश I, जो कभी हरे-भरे बंगलों और चौड़ी सड़कों वाला एक शांत आवासीय क्षेत्र था, आज अपनी पहचान खो रहा है। जैसा कि आर्थिक विकास के साथ कई क्षेत्रों में देखा गया है, यहां भी व्यावसायीकरण ने आवासीय संतुलन को बिगाड़ दिया है।

व्यावसायीकरण का प्रभाव

आवासीय भूखंडों को क्रमशः कैफे, सैलून, बुटीक, कोचिंग सेंटर और क्लीनिक में बदल दिया गया है। एम ब्लॉक मार्केट, जो पहले भव्य हैंगआउट स्पॉट के रूप में कल्पित था, अब छोटी-छोटी व्यावसायिक इकाइयों में बंट गया है। जैसा कि न्यायिक निर्णयों में भी देखा गया है, नियोजन नीतियों का पालन सही तरीके से नहीं किया जा रहा।

निवासियों की चिंताएं

राजीव काकरिया, जो 1968 से यहां रह रहे हैं, कहते हैं, "पहले यह शांत, हरा-भरा और वास्तव में आवासीय था। आज यातायात, शोर और पार्किंग की समस्याएं बढ़ गई हैं।" यह स्थिति शहरी विकास की चुनौतियों को दर्शाती है।

भविष्य की चुनौतियां

  • बढ़ता यातायात और पार्किंग की समस्या
  • बुनियादी सुविधाओं पर दबाव
  • आवासीय क्षेत्र का व्यावसायीकरण
  • पर्यावरणीय प्रभाव
"यह अनियंत्रित व्यावसायीकरण ने कॉलोनी को जकड़ लिया है। बुनियादी ढांचा विकास की गति से नहीं बढ़ा है।" - रोहित बालूजा, सड़क यातायात शिक्षा संस्थान

आदित्य वर्मा

आदित्य वर्मा एक समर्पित पत्रकार हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत, समसामयिक घटनाओं और नैतिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन स्थापित करते हैं। उनकी लेखनी शांति, एकता और न्याय जैसे मूल्यों को उजागर करती है, और सम्राट अशोक की प्रेरणा से आत्मिक गहराई पाती है।