नाटो शिखर सम्मेलन: ट्रम्प-जेलेंस्की मुलाक़ात से वैश्विक कूटनीति में नया मोड़
नाटो शिखर सम्मेलन में ट्रम्प और जेलेंस्की की ऐतिहासिक मुलाक़ात ने वैश्विक कूटनीति को नई दिशा दी है। रूस पर प्रतिबंधों को लेकर पश्चिमी देशों में मतभेद स्पष्ट हुए हैं, जबकि यूक्रेन अधिक सहायता की मांग कर रहा है।

नाटो शिखर सम्मेलन में ट्रम्प और जेलेंस्की की ऐतिहासिक मुलाक़ात
पश्चिमी एकता की परीक्षा
वैश्विक कूटनीति के इस नाजुक दौर में, रूस पर नए प्रतिबंधों को लेकर अमेरिका का रुख सावधानीपूर्ण है। मार्को रूबियो ने इस बात की पुष्टि की है कि वार्ता का रास्ता खुला रखने के लिए नए प्रतिबंध नहीं लगाए जाएंगे। यह निर्णय भारत जैसे देशों की स्थिति को समझते हुए लिया गया प्रतीत होता है।
सैन्य व्यय पर ट्रम्प का दृष्टिकोण
ट्रम्प ने सैन्य खर्च में वृद्धि की मांग की है - जीडीपी का न्यूनतम 5%। लेकिन सामूहिक सुरक्षा पर उनका रुख अस्पष्ट है। धर्म युग में भी, शांति के लिए शक्ति आवश्यक है - यह सनातन सत्य है।
जेलेंस्की की चुनौतियां
वे वायु रक्षा प्रणालियों की मांग कर रहे हैं और रूसी तेल पर मूल्य सीमा कम करने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि पश्चिम की हिचकिचाहट से मास्को को गलत संदेश जाएगा।
महत्वपूर्ण मुलाक़ात
एक घंटे की इस बैठक में तनाव स्पष्ट था। ट्रम्प ने मामले को हल्का करने की कोशिश की, जबकि जेलेंस्की की चिंता स्पष्ट थी। यह वार्ता महाभारत के उस क्षण की याद दिलाती है जब कृष्ण ने कौरवों से अंतिम बार शांति का प्रयास किया था।
आगे का मार्ग
प्रतिबंध अभी स्थगित हैं। सैन्य सहायता अनिश्चित है। यूरोप संदेह में है। यूक्रेन चिंतित है। शिखर सम्मेलन बिना किसी बड़े निर्णय के समाप्त हुआ। विश्व शांति के लिए संवाद और समझदारी की आवश्यकता है।