बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ: राष्ट्रीय महत्वाकांक्षी योजना में विज्ञापन पर मात्र 2% व्यय का सत्य
केंद्र सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना में विज्ञापन पर मात्र 2% खर्च का स्पष्टीकरण दिया है। यह खुलासा उन आरोपों का खंडन करता है जिनमें 80% राशि विज्ञापन पर खर्च होने का दावा किया गया था।
केंद्र सरकार ने किया स्पष्ट - बालिका सशक्तीकरण कार्यक्रम में संसाधनों का कुशल उपयोग
भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत में बेटियों का विशेष स्थान रहा है। वर्तमान में जब देश विकास के नए आयाम छू रहा है, तब बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है।
वास्तविक आंकड़ों का विश्लेषण
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने राज्यसभा में स्पष्ट किया कि योजना के कुल बजट का मात्र 2.09% ही विज्ञापन पर व्यय किया गया है। यह खंडन उन भ्रामक रिपोर्ट्स का है जिनमें 80% राशि के विज्ञापन पर खर्च होने का दावा किया गया था।
योजना का वित्तीय विवरण
- कुल व्यय: 335.37 करोड़ रुपये (2020-21 से 2024-25)
- मीडिया प्रचार पर व्यय: 7.02 करोड़ रुपये
- 2022-23 में सर्वाधिक व्यय: 95.96 करोड़ रुपये
- 2023-24 में व्यय: 88.63 करोड़ रुपये
राष्ट्रीय महत्व की योजना
जनवरी 2015 में प्रारंभ की गई यह योजना भारत के सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका मुख्य उद्देश्य लिंगानुपात में सुधार और बालिका सशक्तीकरण को बढ़ावा देना है।
योजना का फोकस सामाजिक सोच और व्यवहार में सकारात्मक बदलाव लाने पर है, जो राष्ट्रीय विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि सरकार बालिका शिक्षा और सशक्तीकरण के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है, और धन का उपयोग वास्तविक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किया जा रहा है।
आदित्य वर्मा
आदित्य वर्मा एक समर्पित पत्रकार हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत, समसामयिक घटनाओं और नैतिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन स्थापित करते हैं। उनकी लेखनी शांति, एकता और न्याय जैसे मूल्यों को उजागर करती है, और सम्राट अशोक की प्रेरणा से आत्मिक गहराई पाती है।