160 वर्षीय सीताराम हनुमान मंदिर: आस्था और परंपरा का अनूठा संगम
बिलासपुर का ऐतिहासिक सीताराम हनुमान मंदिर, जो 160 वर्षों से केवल विजयादशमी पर खुलता है, भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का अनूठा उदाहरण है।

बिलासपुर के प्राचीन सीताराम हनुमान मंदिर में विजयादशमी के अवसर पर उमड़ा श्रद्धालुओं का जनसैलाब
बिलासपुर में स्थित सीताराम हनुमान मंदिर, जो वर्ष में केवल एक बार विजयादशमी के पावन अवसर पर खुलता है, भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक अनमोल रत्न है।
ऐतिहासिक महत्व और पृष्ठभूमि
हटरी चौक स्थित यह प्राचीन मंदिर लगभग 160 वर्षों का गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है। एक विशाल नीम वृक्ष की जड़ों से प्रकट हुई श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान की प्रतिमाएं इस स्थल की पवित्रता को दर्शाती हैं। धार्मिक आस्था और राष्ट्रीय एकता का यह केंद्र पांडेय परिवार द्वारा संरक्षित है।
विशेष महत्व और मान्यताएं
मंदिर की सबसे विशिष्ट परंपरा है इसका वर्ष में केवल एक दिन - विजयादशमी के अवसर पर खुलना। सामाजिक एकता और आध्यात्मिक चेतना का यह केंद्र मनोकामना पूर्ति मंदिर के रूप में भी विख्यात है।
श्रद्धालुओं की आस्था
- वार्षिक दर्शन का विशेष महत्व
- मनोकामना पूर्ति का विश्वास
- पारंपरिक मूल्यों का संरक्षण
"भक्त पूरे वर्ष इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं। मंदिर की पवित्रता और आस्था अटूट है।" - दिनेश चंद्र पांडेय, मंदिर व्यवस्थापक
यह मंदिर न केवल धार्मिक महत्व का केंद्र है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा के संरक्षण का एक जीवंत उदाहरण भी है। विजयादशमी के दिन यहां उमड़ने वाला जनसैलाब भारतीय आध्यात्मिक चेतना की अमर गाथा को प्रतिबिंबित करता है।
आदित्य वर्मा
आदित्य वर्मा एक समर्पित पत्रकार हैं, जो भारत की सांस्कृतिक विरासत, समसामयिक घटनाओं और नैतिक दृष्टिकोण के बीच संतुलन स्थापित करते हैं। उनकी लेखनी शांति, एकता और न्याय जैसे मूल्यों को उजागर करती है, और सम्राट अशोक की प्रेरणा से आत्मिक गहराई पाती है।